अनंत आवाज ब्यूरो
देहरादून। शिक्षक दिवस पर शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले प्रदेश के शिक्षकों को राजभवन में शैलेश मटियानी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। एक समारोह के दौरान प्रदेश के राज्यपाल ले. जन. गुरमीत सिंह और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य के 16 शिक्षकों को यह सम्मान प्रदान किया।
राष्ट्र निर्माण और व्यक्ति निर्माण में शिक्षा और शिक्षक की भूमिका अति महत्वपूर्ण है। इसलिए राज्य एवं केन्द्र सरकार सहित अनेक संस्थाएं शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले शिक्षकों को सम्मानित करती रही हैं। शुक्रवार को उत्तराखंड राजभवन में भी प्रदेश के ऐसे शिक्षकों को शैलेश मटियानी राज्य शैक्षिक पुरस्कार सम्मान से सम्मानित किया गया जिन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य किया है। राजभवन में एक समारोह के दौरान प्रदेश के राज्यपाल ले. जन. गुरमीत सिंह और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य के 16 शिक्षकों को यह सम्मान प्रदान किया।
शैलेश मटियानी राज्य शैक्षिक पुरस्कार सम्मान प्राप्त करने वाले शिक्षकों में 09 प्रारंभिक शिक्षा, 05 माध्यमिक शिक्षा और प्रशिक्षण संस्थान एवं संस्कृति शिक्षा से एक-एक शिक्षक को यह सम्मान प्रदान किया गया।
शैलेश मटियानी राज्य शैक्षिक पुरस्कार सम्मानित शिक्षक
प्रारंभिक शिक्षा में पौड़ी जिले से डॉ. यतेंद्र प्रसाद गॉड, चमोली से रंभा शाह, उत्तरकाशी से मुरारी लाल राणा, हरिद्वार से ठाट सिंह, टिहरी गढ़वाल से रजनी मंगाई, रुद्रप्रयाग से मिली बागड़ी, चंपावत से नरेश चंद्र, पिथौरागढ़ से दीवान सिंह कठायत, अल्मोड़ा से डॉ. विनीता खाती को सम्मानित किया जाएगा। इसके अलावा माध्यमिक शिक्षा में पौड़ी गढ़वाल से पुष्कर सिंह नेगी, उत्तरकाशी से गीतांजलि जोशी, देहरादून से डॉ. सुनीता भट्ट, चंपावत से प्रकाश चंद्र उपाध्याय और अल्मोड़ा से दीपक चंद्र बिष्ट सम्मानित किया गया।
पुरस्कार प्राप्त करने शिक्षकों को बधाई देते हुए राज्यपाल ले. जन. गुरमीत सिंह ने कहा कि यह सम्मान पूरे शिक्षक समाज की मेहनत और तपस्या का फल है। उन्होंने कहा कि शिक्षक मात्र ज्ञान ही नहीं देता बल्कि वह चरित्र, नैतिकता और जीवन मूल्यों का भी निर्माण करता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल रोजगार तक सीमित नहीं होना चाहिए, अध्यापक बच्चों को संस्कारवान, जिम्मेदार और राष्ट्रभक्त नागरिक बनाने में भी अपना योगदान दें। क्योंकि माता-पिता के बाद गुरु ही बच्चों के सच्चे मार्गदर्शक हैं और बच्चों का भविष्य सही दिशा में ले जाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने विश्वास जताया कि वर्ष 2047 तक भारत को विश्वगुरु बनाने में शिक्षकों का योगदान निर्णायक रहेगा।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी शिक्षकों को शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि वह अपने अनुभव, ज्ञान और परिश्रम से विद्यार्थियों के व्यक्तित्व और भविष्य को संवारने में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी अदा करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि शैलेश मटियानी पहाड़ के दर्द और संवेदनाओं को गहराई से समझने वाले आधुनिक कथाकार थे। उन्होंने कथा-साहित्य के साथ-साथ गद्य और सामयिक चिंतन में भी अपनी गहरी छाप छोड़ी।
कौन हैं आधुनिक हिंदी कथाकार शैलेश मटियानी!
आधुनिक हिंदी कथाकार और गद्यकार शैलेश मटियानी जिनके नाम से राज्य सरकार हर वर्ष शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले शिक्षकों को सम्मानित करती है ऐसे मूर्धन्य साहित्यकार शैलेश मटियानी का जन्म 14 अक्टूबर 1931 जनपद अल्मोड़ा के बाड़ेछीना में हुआ था। उनका वास्तविक नाम रमेश सिंह मटियानी था। उन्होंने ‘बोरीविल्ली से बोरीबंदर तक’, ‘मुठभेड़’, ‘डब्बू मलंग’, ‘महाभोज’ जैसे उपन्यास लिखे, साथ ही कई लघु कथाएँ, निबंध और बाल साहित्य की पुस्तकें भी लिखीं। उन्होंने अनेक पत्र-पत्रिकाओं का संपादन भी किया। मटियानी को उनके यथार्थवादी लेखन के लिए जाना जाता है, जिसमें उन्होंने कुमाऊँ के पहाड़ी जीवन और सामाजिक विसंगतियों को दर्शाया। उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उनके प्रथम उपन्यास पर सम्मानित भी किया गया था। उन्हें ‘महापंडित राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार’ और अन्य साहित्यिक पुरस्कारों से भी नवाजा गया। मां सरस्वती की सेवा करते हुए 24 अप्रैल 2001 दिल्ली में उनका निधन हो गया।